Complete Information About Cloud Computing ? क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी
दरअसल, क्लाउड कम्प्यूटिंग (Cloud Computing) एक तकनीक है या ये कहें कि ये एक ऐसा विन्यास (Layout) है l जिसमें इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न संसाधनों जैसे कि संगठन की वेब साइट, संगठनीय डेटाबेस, सॉफ्टवेयर और संगठनीय संसाधनों को उपलब्ध कराया जाता है। इस तकनीक के जरिए, संसाधनों को एक ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर के रूप में प्रदान किया जाता है, जो एक समूह में कई उपयोगकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल किए जा सकता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न सेवाओं, संसाधनों की सुविधा प्रदान करती है। इन संसाधनों में डेटा स्टोरेज, सर्वर, डेटाबेस, नेटवर्किंग और सॉफ्टवेयर टूल और एप्लिकेशन शामिल हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग से व्यवसाय की लागत में बचत, उत्पादकता में वृद्धि, गति और दक्षता, प्रदर्शन और सुरक्षा सहित कई लाभ है इसलिए यह लोगों और व्यवसायों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है।
क्लाउड कंप्यूटिंग इसके उपयोगकर्ताओं को बहुत सारे लाभ प्रदान करता है। इस तकनीक के द्वारा संगठन संसाधनों के उपयोग में लागत कम कर सकता है, नए संसाधनों के लिए खर्च को घटाया जा सकता है और संसाधनों को स्केल करने में भी सुविधा मिलती है। इसके अलावा, क्लाउड कंप्यूटिंग सुरक्षित होता है और उपयोगकर्ताओं को इसके लिए अधिक पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होती है। व्यावसायिक उद्देश्यों के अलावा, क्लाउड कंप्यूटिंग व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के लिए भी बहुत उपयोगी है।
आईए इसे और आसान तरीके से समझने का प्रयास करते है। आप सभी यूट्यूब के उपयोग को समझते हैं, इंटरनेट और स्मार्ट डिवाइस या कंप्यूटर के उपयोग से आप यूट्यूब पर कोई वीडियो देख सकते हैं। जो वीडियो आप यूट्यूब पर देखते हैं, वह आपके स्मार्ट डिवाइस या कंप्यूटर पर संग्रहित नहीं होता। वह कहाँ संग्रहित है, किस तरह की फाइल है, यह जाने बिना ही आप वीडियो देख पाते हैं। इसके अलावा आप यूट्यूब पर अपना चैनल बनाकर उस पर वीडियो रख भी सकते हैं, इस पूरी प्रक्रिया में क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग हो रहा है।
क्लाउड कंप्यूटिंग सूचना प्रौद्योगिकी (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी) में वर्तमान में बहुत तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। इसके उपयोग से कंप्यूटर आधारित सेवाओं को इंटरनेट के माध्यम से किसी स्मार्ट डिवाइस पर कहीं भी और कभी भी प्राप्त किया जा सकता है। यही नहीं भौतिक रूप से अलग अलग स्थान पर रहते हुए एक ही फाइल पर साझा काम कर सकते हैं, या हार्डवेयर को साझा करके उपयोग कर सकते हैं। पूर्व मैं हमने डिजिटल लॉकर, डिजिटल लाइब्रेरी आदि के बारे मैं पढ़ा है, यह सभी सुविधाएं क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से ही उपयोग हो रही हैं।
क्लाउड के कारण यह संभव है, कि आप आसानी से कहीं से भी किसी भी समय जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जबकि परंपरागत कंप्यूटर सेटअप में जरूरी है, कि आपका डाटा स्टोरेज, संबंधित सॉफ्टवेयर आपकी डिवाइस पर ही हो, अगर आप अपनी वेबसाइट बनाकर उसे होस्ट करते हैं, तो वह क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग से हो रही है।
अगर आप ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं तो वह क्लाउड पर उपलब्ध होते हैं और बिना डाउनलोड किए ही आप इन गेम्स को खेल सकते हैं। इसलिए आपके कंप्यूटर या स्मार्ट डिवाइस की संग्रहण क्षमता की सीमा से बड़े गेम्स या एप्लीकेशन का उपयोग भी आप कर पाते हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से उपयोगकर्ता बड़े प्रोग्राम बहुत अधिक आकार का डाटा या आपके कंप्यूटर की क्षमता से अधिक क्षमता वाले प्रोग्राम को इंटरनेट की उपलब्धता के साथ उपयोग कर सकता है। क्लाउड कंप्यूटिंग तकनीक तुलनात्मक रूप से सस्ती (कॉस्ट इफेक्टिव) है, और मांग के अनुरूप संसाधन (ऑनडिमांड रिसोर्सेज) प्रदान करती है, एक उपयोगकर्ता आवश्यकता अनुसार संसाधन कम कीमत पर क्लाउड द्वारा उपयोग कर सकता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग संसाधनों (जैसे, नेटवर्क, सर्वर, स्टोरेज, एप्लिकेशन और सेवाओं) के साझा पूल में सर्वव्यापी, सुविधाजनक, ऑन-डिमांड नेटवर्क को सक्षम करने का एक मॉडल है, जिसमें संसाधनों को न्यूनतम प्रबंधन के साथ उपयोग किया जा सकता है। यह संसाधन उपयोगकर्ता व्यक्तिगत रूप से प्राप्त नहीं करता, बल्कि कंपनियां संसाधनों को उपयोग करने की सुविधा इंटरनेट द्वारा देती हैं। यह संसाधन जिन कंपनियों के माध्यम से मिलते हैं उन्हें क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर कहा जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग में प्राप्त की गई जानकारी को क्लाउड या वर्चुअल स्पेस पर दूरस्थ रूप से (Remotely) रखा गया होता है। क्लाउड सेवाएं प्रदान करने वाल्ली कंपनियां अर्थात सर्विस प्रोवाइडर उपयोगकर्ताओं को दूरस्थ सर्वर (Remote Server) पर फाइलों और एप्लीकेशन को संग्रहित करने मैं सक्षम बनाती हैं और फिर इंटरनेट के माध्यम से डाटा पहुंचाती हैं। क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर सामान्यतः उपयोग के अनुसार चार्ज लेते हैं, जैसे कि बिजली के लिए जितना आप उपयोग करेंगे उतना बिल देना होता है।
Types of Cloud Computing – क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रकार
क्लाउड कंप्यूटिंग को दो आधारों पर उनके प्रकारों में बांटा जा सकता है –
- उनके तैनाती (Deployment) के आधार पर
- उनकी सेवाओं (Services) के आधार पर
तैनाती (Deployment) के आधार पर
डेप्लॉयमेंट (संसाधनों के स्वामित्व, आकार और पहुंच) के आधार पर क्लाउड कंप्यूटिंग को निम्न मॉडल में वर्गीकृत किया गया है। पब्लिक क्लाउड मॉडल, प्राइवेट क्लाउड मॉडल, कम्युनिटी क्लाउड मॉडल और हाइब्रिड क्लाउड मॉडल। तकनीकी रूप से जानने के पहले, निम्न उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं।
रोड पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए आप अगर बस से यात्रा करते हैं, तो यह पब्लिक है, इसमें आपको सिर्फ उतना ही खर्च करना होता है जितनी सीट और दूरी आपकी आवश्यकता है अर्थात उपयोग के हिसाब से कीमत। इसके बजाय यदि आप स्वयं की कार से सफर करते हैं, तो कार की पूरी कीमत ईंधन की कीमत कार की मेंटेनेंस यह सभी खर्च आपको ही वहन करना होता है, अर्थात प्राइवेट वाहन के उपयोग की लागत बहुत ज्यादा होती है।
एक अन्य रूप में स्वयं का वाहन तो हो लेकिन एक ही रास्ते पर जाने के लिए इस वाहन को कई लोग मिलकर साझा करें अर्थात रखरखाव की लागत में कटौती हो जाए। इसके अलावा एक अन्य माध्यम भी आप प्रयोग कर सकते हैं, आप टैक्सी से भी यात्रा कर सकते हैं, जिसकी लागत बस की तुलना मैं कम किंतु स्वयं के वाहन की तुलना में अधिक होगी इस तरह की यात्रा में स्वयं के वाहन की लागत और मेंटेनेंस से कम खर्च आएगा अर्थात यह पब्लिक और प्राइवेट का हाइब्रिड रूप होगा।
अब हम क्लाउड डेप्लॉयमेंट मॉडल को तकनीकी रूप से समझते हैं –

Public Cloud – पब्लिक क्लाउड
जैसा कि नाम से ही पता लगता है, पब्लिक क्लाउड सामान्य पब्लिक के लिए उपलब्ध होते हैं और डाटा किसी थर्ड पार्टी सर्वर पर बनाए और संग्रहित किए जाते हैं। उपयोग करने वाल्ली कंपनी को हार्डवेयर खरीदने और रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि सर्वर की आधारिक संरचना (Infrastructure) का प्रबंधन और पूल संसाधनों का रखरखाव सर्विस प्रोवाइडर द्वारा किया जाता है।
सर्विस प्रोवाइडर कंपनी इन संसाधनों को इंटरनेट पर फ्री या पे पर यूज़ अर्थात प्रत्येक उपयोग के हिसाब से चार्ज करती है। उपयोगकर्ता आवश्यकता अनुसार अधिक रिसोरसेंज को प्राप्त कर सकता है। व्यापार करने के लिए पब्लिक क्लाउड डेप्लॉयमेंट मॉडल पहली पसंद होती है। Amazon, Microsoft Azure, Google App Engine, IBM Cloud इनमे से कुछ प्रमुख सर्विस प्रोवाइडर है।
पब्लिक क्लाउड के उपयोग से उपयोगकर्ता बुनियादी ढांचे के प्रबंधन से मुक्त होता है, किसी थर्ड पार्टी द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करना सुविधाजनक है। सॉफ्टवेयर डेप्लॉय करना या उसका प्रबंधन करना, बुनियादी ढांचे का सेटअप करना यह सभी कार्य सर्विस प्रोवाइडर द्वारा किए जाते हैं। कंपनी की आवश्यकता पड़ने पर अधिक रिसोर्सेंज लिए जा सकते हैं।
आप जो सेवाएं लेते हैं, सिर्फ उन्हीं का भुगतान करते हैं, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के लिए आपको कीमत अदा नहीं करनी होती। यह सर्विस प्रोवाइडर 24 घंटे सेवाएं देते हैं, इससे कंपनी की कार्यक्षमता बढ़ती है। पब्लिक क्लाउड की कुछ सीमाएं भी है, सर्विस प्रोवाइडर एक निश्चित तरह की सेवाएं देते हैं, कुछ परिस्थितियों में आप की आवश्यकताएं इन सेवाओं से पूर्ण नहीं हो पाती।
इसके अतिरिक्त आपके सभी कार्य थर्ड पार्टी के माध्यम से हो रहे हैं, अतः आपके डेटा को अन्य कोई भी प्राप्त कर रहा हो यह जानकारी आपके पास नहीं होती। किसी स्थिति में अगर सर्विस प्रोवाइडर में कोई त्रुटि हो जाए तो कंपनी के सभी कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
Private Cloud – प्राइवेट क्लाउड
तकनीकी रूप से पब्लिक और प्राइवेट मॉडल में विशेष अंतर नहीं होता इनका आर्किटेक्चर लगभग समान होता है। प्राइवेट क्लाउड किसी एक विशिष्ट कंपनी को पूर्ण रूप से सेवाएं देता है। यहां एक ही क्लाउड पर कई कंपनी अपना अपना स्थान लेकर काम नहीं करती है। जो ऑर्गेनाइजेशन इस मॉडल का उपयोग कर रही है, अपना सारा कार्य इस क्लाउड पर ही चलाती है। इसके लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों ही ऑर्गेनाइजेशन व्यक्तिगत रूप से अपने संरक्षण में रखते हैं। सर्वर आर्गेनाईजेशन में ही, या बाहर कहीं भी स्थित हो सकता है।
इस मॉडल में आधारिक संरचना (Infrastructure) का प्रबंधन एक निश्चित प्राइवेट नेटवर्क द्वारा होता है। एक निश्चित व्यक्तियों का समूह इस मॉडल में क्लाउड पर रखी जानकारी और नेटवर्क को उपयोग कर सकता है यह अन्य लोगों के द्वारा उपयोग नहीं की जा सकती अतः यहां जानकारी अधिक सुरक्षित होती है। Amazon, IBM, Cisco, Dell, Red Hat कुछ प्रमुख सर्विस प्रोवाइडर है।
प्राइवेट क्लाउड मॉडल का सबसे बड़ा लाभ है, स्वयं नियंत्रण (Autonomy), अपनी आवश्यकता अनुसार कंपनी परिवर्तन कर सकती है, इसके अतिरिक्त सुरक्षा निजता और विश्वसनीयता कायम रख सकती है। प्राइवेट क्लाउड में हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर पूर्ण रूप से अधिकार में होता है और इन्हें चलाने के लिए प्रशिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, अतः यह तुलनात्मक रूप से महंगे होते हैं, छोटी कंपनियां सामान्यतः अधिक लागत के कारण इनका उपयोग नहीं करती।
Community Cloud – कम्युनिटी क्लाउड
कम्युनिटी डेप्लॉयमेंट मॉडल लगभग प्राइवेट मॉडल के समान ही है दोनों में अंतर केवल इनके उपयोगकर्ताओं के आधार पर है। जहां प्राइवेट क्लाउड मे पूरे सर्वर पर एक ही कंपनी का अधिकार होता है, वही कम्युनिटी क्लाउड मॉडल में कई ऑर्गेनाइजेशन जो एक ही तरह का काम कर रहे हैं, आधारिक संरचना और संबंधित रिसोर्स को साझा करते है।
अगर साझा करने वाले आर्गेनाईजेशन मैं समान सुरक्षा, निजता और दक्षता की आवश्यकता होती है और व्यवसायिक उद्देश्य के तौर पर यह मॉडल सहायक होता है। ऐसी कंपनी जो किसी साझा परियोजना (जॉइंट प्रोजेक्ट) पर काम कर रहे हैं, इस तरह के क्लाउड मॉडल को उपयोग करती है।
इस स्थिति में एक केंद्रीय क्लाउड प्रोजेक्ट के विकास, प्रबंधन और क्रियान्वयन के लिए उपयोग होता है, साथ ही क्लाउड की लागत भी इन कंपनियों के बीच साझा होती है। कम कीमत अधिक सुरक्षा, निजता, विश्वसनीयता और डाटा को साझा करने मैं आसानी यह सभी कम्युनिटी क्लाउड की विशेषताएं हैं।
पब्लिक क्लाउड की तुलना में इनकी कीमत अधिक हो सकती है साथ ही निश्चित संग्रहण क्षमता को साझा करने की स्थिति में अधिक बैंडविथ की भी आवश्यकता होती है। कम्युनिटी क्लाउड का प्रचलन बहुत सीमित है।
Hybrid Cloud – हाइब्रिड क्लाउड
हाइब्रिड क्लाउड में पूर्व मैं वर्णन किए गए बाकी सभी मॉडल के अच्छे गुणों को समाहित किया जाता है। यह कंपनियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार प्राइवेट, पब्लिक और कम्युनिटी क्लाउड के गुणों को मिश्रित करके उपयोग करने की सुविधा देता है।
उदाहरण के तौर पर कोई कंपनी अपने अत्याधिक सुरक्षित रखे जाने वाले संसाधनों को प्राइवेट क्लाउड पर रखकर कम संवेदनशील संसाधनों को पब्लिक पर रख सकती है। इस मॉडल मैं डाटा और एप्लीकेशंस को पोर्टेबल होते है। अर्थात एक वातावरण से दूसरे वातावरण में ले जाना संभव होता है। हाइब्रिड क्लाउड के मुख्य लाभ हैं, उचित कीमत मैं बेहतर सुरक्षा और निजता का वातावरण प्राप्त करना।
सेवाओं (Service) के आधार पर
मुख्य रूप से सेवाओं के आधार पर क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) सर्विसेज को वर्गीकृत किया गया है। इंफ्रास्ट्रक्चर एस ए सर्विस (IaaS), प्लेटफॉर्म एस ए सर्विस (PaaS) और सॉफ्टवेयर एस ए. सर्विस (SaaS)

Infrastructure as a Service – इंफ्रास्ट्रक्चर एस ए सर्विस (IaaS)
यह सर्विस उपयोगकर्ता को स्वयं का सर्वर लेने और उसका रखरखाव करने की जटिलता से बचाता है। क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर उपयोगकर्ता को उपयोग के अनुसार (Pay as you go) सर्वर, स्टोरेज, नेटवर्किंग, प्रोसेसिंग, वर्चुअल मशीन और अन्य कंप्यूटिंग रिसोरसेंस क्लाउड पर उपलब्ध कराता है।
भौतिक रूप से यह सभी रिसोर्स दूरस्थ स्थान पर होते हैं, सर्विस प्रोवाइडर आभासी वातावरण (Virtualization) द्वारा इन्हें उपयोग करने की सुविधा देता है। हर एक रिसोर्स को आवश्यकता अनुसार एक व्यक्तिगत सुविधा के रूप में उपयोग करने के लिए लिए उपलब्ध कराया जाता है। IaaS में इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रबंधन सर्विस प्रोवाइडर द्वारा किया जाता है, उपयोगकर्ता इस पर अपने सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल, कॉन्फ़िगर और मैनेज कर सकते हैं।
यह सुविधा डेप्लॉयमेंट के पब्लिक, प्राइवेट और हाइब्रिड तीनों ही मॉडल में उपयोग होती है। परंपरागत होस्टिंग सर्विस में पूरा आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर एक निश्चित समय के लिए उपयोगकर्ता किराए पर लेते रहे हैं। निर्धारित समय के ल्रिए इंफ्रास्ट्रक्चर का भुगतान भी किया जाता था, ना की कितना उपयोग किया गया है इसके लिए। IaaS Cloud Computing (क्लाउड कंप्यूटिंग) सर्विस के तहत उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता अनुसार डायनॉमिकली कंफीग्रेशन को बदल सकते हैं उन्हें सिर्फ उतना ही पैसा देना होता है जितना उन्होंने सर्विसेस का उपयोग किया हो।
सर्विस प्रोवाड़डर कई तरह के कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइड कराते हैं, जैसे सरवर, वर्चुअल मशीन, डाटा स्टोरेज, बैकअप फैसिलिटी, नेटवर्क कंपोनेंट्स और अन्य हार्डवेयर इसके उपयोग से यूजर दूरस्थ स्थानों पर हार्डवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को कॉन्फ़िगर कर सकते हैं, डेप्लॉय कर सकते हैं और सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को चला सकते हैं।
व्यवसायिक गतिविधियों में कंप्यूटर हार्डवेयर के सेटअप के लिए बड़ी धनराशि की आवश्यकता होती है। क्लाउड (Cloud) आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर के उपयोग करने से इस लागत में काफी कटौती हो जाती है। इसके अतिरिक्त जब कार्यभार ज्यादा हो तो अस्थाई रूप से अधिक रिसोर्स लिए जा सकते हैं, क्योंकि इस मॉडल में जितना उपयोग किया जाए उतना ही भुगतान किया जाता है।
इसके अतिरिक्त उपयोगकर्ता के लिए अन्य सुविधा यह है कि आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रबंधन के काम से वह मुक्त होता है। यह कार्य कंपनी पर ना होकर सर्विस प्रोवाइडर पर अधिक होता है। इसलिए उपयोगकर्ता अपनी कंपनी के काम पर ज्यादा ध्यान दे सकता है। IaaS का एक लाभ यह भी है कि आवश्यकता अनुसार सॉफ्टवेयर अपग्रेड करना आसान होता है और हार्डवेयर से संबंधित कोई भी समस्या और जटिल्ता सर्विस प्रोवाइडर द्वारा संभाली जाती है।
IaaS के उपयोग में कोई भी सर्विस प्रोवाइडर 100% सुरक्षित वातावरण नहीं दे पाता। कंपनी का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रबंधन और नियंत्रण सर्विस प्रोवाइडर के पास होता है। उपयोगकर्ता के पास कंफीग्रेशन और परफॉर्मेंस की न्यूनतम जानकारी होती है। सर्विस प्रोवाइडर मैं किसी तरह की तकनीकी खराबी आए तो उपयोगकर्ता का काम भी प्रश्नावित होता है।
किसी स्थिति में एक सर्विस प्रोवाइडर से दूसरे सर्विस प्रोवाइडर पर परिवर्तन की स्थिति में वर्चुअल मशीन को माइग्रेट करना कठिन होता है। सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर मुख्य रूप से इस सर्विस के उपयोगकर्ता होते हैं। IaaS के उदाहरण हैं Amazon EC2, Rackspace, Google Compute Engine आदि
Platform as a Service – प्लेटफॉर्म एस ए सर्विस (PaaS)
यह मॉडल एक प्लेटफार्म पर कंप्यूटेशनल रिसॉरसेस प्रदान करता है, जिन पर एप्लीकेशन और सर्विसेज डेवलप और होस्ट की जा सकती हैं। इस मॉडल में उपयोगकर्ता सर्वर और इंटरनेट के माध्यम से एप्लीकेशन बनाने और दूसरे उपयोगकर्ता को उपयोग या डिल्लीवर करने का काम, कम लागत या बिना लागत के कर सकते हैं।
PaaS उपयोग करने के लिए रन टाइम वातावरण देता है। यूज़र आसानी से एप्लीकेशन बना सकते हैं, टेस्ट कर सकते हैं, रन कर सकते हैं और एप्लीकेशन को डेप्लॉय भी कर सकते हैं। क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर उपयोग के हिसाब से लागत (Pay as per use) यह सुविधा देते हैं । इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रबंधन क्लाउड सर्वर प्रोवाइडर द्वारा किया जाता है।
अतः उपयोगकर्ता इस प्रबंधन से मुक्त होता है। PaaS मॉडल की आधारिक संरचना (Infrastructure) सर्वर, स्टोरेज और नेटवर्क तथा प्लेटफॉर्म (मिडिल बेयर डेवलपमेंट टूल डेटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम बिजनेस इंटेलिजेंस आदि) होते हैं जो एप्लीकेशन डेवलपर्मेंट के लिए सहायक होते हैं।
PaaS मे लगातार अपडेशन और नई टूल और टेक्नोलॉजी का समावेश भी होता रहता है। सॉफ्टवेयर डेवलपर, वेब डेवलपर और अन्य व्यवसाय के लोग सभी इन सेवाओं का लाभ लेते हैं। सर्विस प्रोवाइडर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, एप्लीकेशन फ्रेमवर्क, डेटाबेस आदि अन्य टूल उपलब्ध कराते हैं। उपयोग करने में डेवलपर सिर्फ अपने डेवलपमेंट और नई खोज पर पूरा ध्यान दे सकते हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रबंधन, सुरक्षा की चिंता उन्हें नहीं करनी पड़ती। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मे पूंजी नहीं लगानी होगी, एक इंटरनेट कनेक्शन और कंप्यूटर से पूरी डेवलपमेंट की प्रक्रिया इस सर्विस पर की जा सकती है।
कुछ PaaS प्रोवाइडर व्यवसायिक गतिविधियों के सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराते हैं, इसलिए हर एक एप्लीकेशन को शुरू से बनाने की आवश्यकता नहीं होती है। इन सॉफ्टवेयर को आधार बनाकर अपने बिजनेस के आवश्यकतानुसार कस्टमाइज करके उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए अधिक डेवलपर्मेंट स्किल की भी आवश्यकता नहीं होती। सर्विस प्रोवाइडर ऑनलाइन कम्युनिटी भी प्रदान करते हैं, जहां डेवलपर अन्य लोगों से अपने अनुभव साझा कर सकते हैं और सलाह ले सकते हैं।
PaaS के तहत उन्हीं प्लेटफार्म पर एप्लीकेशन बनाए जा सकते हैं, जो सर्विस प्रोवाइडर ने प्रदान किए हैं, एप्लीकेशन का एक से दूसरे सर्विस प्रोवाइडर विक्रेता मैं माइग्रेशन कठिन होता है। उदाहरण के तौर पर एक सर्विस प्रोवाइडर कोई डेटाबेस A का उपयोग करता है, अगर आप अपना वेब एप्लीकेशन दूसरी सर्विस प्रोवाइडर पर ले जाएं जो किसी अन्य डेटाबेस B का उपयोग करता हो तो यह प्रक्रिया जटिल होती है।
इसके अतिरिक्त कंपनियों द्वारा कई बार एप्लीकेशन का कुछ हिस्सा लोकल और कुछ क्लाउड पर रखा जाता है। ऐसी स्थिति में इन दोनों के टेक्नॉलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच तालमेल बनाने में काफी जटिलता होती है। कोई भी डाटा जब कंपनी की सीमा से बाहर कहीं रखा जाता है, उसकी निजता की आशंका सदैव ही बनी रहती है। डाटा की निजता और सुरक्षा को लेकर जोखिम बना ही रहता है। एप्लीकेशन और वेब डेवलपर मुख्य रूप से इस सर्विस के उपयोगकर्ता होते हैं। PaaS के उदाहरण है: Google App Engine, SalesForce.com, Windows Azure, AppFog, Openshift, Cloud Foundry from VMware आदि
Software as a Service – सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस (SaaS)
एक सॉफ्टवेयर है जिस पर एक या अधिक उपयोगकर्ता मालिकाना हक रखते हैं, प्रबंधन करते हैं और डिलीवर करते हैं। SaaS सॉफ्टवेयर लाइसेंस और डिलीवरी द्वारा काम करता है। एक पूरा सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट वेब द्वारा उपयोगकर्ता को सब्सक्रिप्शन के आधार पर उपलब्ध होता है। किन्तु किन्ही स्थितियों में एवं सीमित उपयोग सुविधाओं के साथ यह सब्सक्रिप्शन मुफ्त भी हो सकते हैं।
यह सेवा वेब ब्राउज़र के माध्यम से उपलब्ध होती है अतः इसमें उपयोगकर्ता के ऑपरेटिंग सिस्टम का विशेष महत्व नहीं रह जाता। इस मॉडल में आप अपने बिजनेस के लिए क्लाउड पर उपलब्ध एप्लीकेशन को बिना इंस्टॉल किए ही उपयोग कर सकते हैं। एप्लीकेशन विक्रेता के क्लाउड पर रन होता है, कंट्रोल और प्रबंधित होता है।
SaaS सर्विस प्रोवाइडर निम्न सेवाएं देते हैं – व्यवसायिक सेवाएं (Business Services) जैसे ERP (इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग), CRM (कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट), बिलिंग और विक्रय. स्टार्टअप कंपनियां इस सुविधा का बहुत लाभ लेती हैं।
डॉक्यूमेंट प्रबंधन यह ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जो इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमैंट बनाने प्रबंधन करने और प्राप्त करने में काम आता है। सोशल नेटवर्क्स और ईमेल सर्विस इस मॉडल का उपयोग करती है। SaaS का मासिक व्यापारिक सब्सक्रिप्शन लेने के बाद लाइसेंस एप्लीकेशन को निश्चित अवधि के ल्रिए उपयोग किया जा सकता है। यह सब्सक्रिप्शन बहुत कम कीमत पर प्राप्त हो जाते हैं, जबकि यह सॉफ्टवेयर खरीदने में काफी अधिक लागत के होती हैं, साथ ही निर्धारित हार्डवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम आदि भी यूजर के पास होना आवश्यक होता है, जो एक महंगी आवश्यकता है।
किसी एप्लीकेशन का एक सब्सक्रिप्शन मल्टीपल उपयोगकर्ता उपयोग कर सकते हैं। सॉफ्टवेयर दूरस्थ स्थान पर रखा होता है, उसके लिए आवश्यक हार्डवेयर यूजर के पास उपलब्ध होना आवश्यक नहीं होता। सॉफ्टवेयर सेटअप और प्रतिदिन का रखरखाव भी सर्विस प्रोवाइडर द्वारा किया जाता है, किसी निश्चित सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर वर्जन की सीमाएं भी नहीं है, इसके अतिरिक्त यह एक से अधिक डिवाइस पर भी चलाए जा सकते हैं। किसी तरह का सॉफ्टवेयर इंस्टॉलेशन करने की आवश्यकता नहीं होती।
जब भी डाटा किसी दूरस्थ स्थान पर है, उसकी सुरक्षा और डाटा हर समय उपलब्ध था की नहीं ये शंका हर समय बनी रहती है। इंटरनेट पर निर्भरता भी है और साथ ही जहां मिलीसेकंड में उत्तर की आवश्यकता हो यह सॉफ्टवेयर उपयुक्त नहीं होते हैं। एक SaaS प्रोवाइडर से दूसरे पर माइग्रेशन भी जटिल प्रक्रिया है। एंड यूजर जो एप्लीकेशन को सिर्फ उपयोग करें इस सर्विस के उपयोगकर्ता होते हैं। SaaS के उदाहरण है: Microsoft Office 365 Oracle CRM, Google Apps, Salesforce, Dropbox, NetSuite, GoToMeeting.